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Nai Stri Ki Purani Kahani

Shashikant Sadaiv

EPUB
ca. 1,99

Prabhakar Prakshan img Link Publisher

Ratgeber / Familie

Beschreibung

बिस्तर से दफ्तर तक, हृदय से आसमान तक और चुप्पी से लेकर नारेबाजी तक का सफर तय करने वाली स्त्री, आज भी सोचने, विचारने और स्त्री दिवस मनाने का ही नाम बनकर रह गई है। जहां एक ओर स्त्री विमर्श पर ढेरों किताबें लिखी जा रही हैं वहीं दूसरी ओर महिला दिवस का विज्ञापन अखबारों में अपनी जगह ढूंढ़ने का वर्षभर इंतजार करता रहता है। तब किसी समाज को, देश को खबर लगती है कि स्त्री का भी मत है, उसका भी मन है, उसकी भी आकांक्षाएं हैं, उसको भी सम्मानित करना है। यह पुस्तक स्त्री की सामाजिक व मानसिक दशा में आए परिवर्तनों को रेखांकित करती है तो, वैदिक युग से वैज्ञानिक युग तक की उसकी यात्रा को भी दर्शाती है। इतना ही नहीं यह पुस्तक स्त्री के वास्तविक रूप को उसकी क्षमताओं, सीमाओं और संभावनाओं के साथ उकेरती है।

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