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Aadhunik Yugeen Yuddh Prabandh Karyon ka Sandesh

Manita, Dr. Sengar

EPUB
ca. 2,99

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Belletristik / Gemischte Anthologien

Beschreibung

मानव सभ्यता में युद्ध एक ऐसा शाश्वत सत्य है जैसे युद्ध के मध्य मानवता का। भारत में युद्ध को क्षत्रिय धर्म माना गया है। अन्याय के प्रतिकार का यह अन्तिम प्रतिकार है, जब प्रतिपक्ष के समझाने पर भी अन्यायी नहीं समझता तब शान्ति की स्थापना के लिए युद्ध अनिवार्य हो जाता है, कर्मण्येवाधिकारस्ते का उद्बोध भी तो इसी संदर्भ का है। शौर्य वीरता के कारण ही वसुन्धरा वीरभोग्या कही गयी है। पूर्व काल में शान्ति हेतु युद्ध का करना अनिवार्य माना जाता था, किन्तु आज युद्ध देश और काल के सापेक्ष में अधिक विनाशकारी हो गया है। युद्ध के कारण कुछ भी हो, तो परिणाम सभी को भोगना पड़ता है। युद्ध की पृष्ठभूमि पर लिखे गये जितने भी प्रबन्ध काव्य हैं सभी में कोई न कोई संदेश दिया है। चाहे वह समाजवादी चिन्तन हो या मानवतावादी, चिन्तन, युद्ध और शांति विषयक चर्चा हो, अथवा अस्तित्ववादी, चिन्तन की चर्चा हो, सभी में इन प्रसंगों से संदेश, और प्रेरणाएं मिलती रही हैं। युद्ध प्रबन्ध काव्यों के विवेचन द्वारा इनमें निहित संदेश मानव जीवन पर प्रकाश डाला गया है और जब तक समाज में वैषम्य की स्थिति रहेगी, संघर्ष रहेगा।

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